Wednesday, November 17, 2010

तो क्या बात है

किताबो के पन्ने पलट के सोचते है, यूं पलट जाए ज़िंदगी तो क्या बात है,
तमन्ना जो पुरी हो ख्वाबो मे, हकीकत बन जाए तो क्या बात है,
कुछ लोग मतलब के लिए ढूँढते है मुझे, बिना मतलब कोइ आए तो क्या बात है,
कत्ल करके तो सब ले जाएंगे दिल मेरा, कोइ अदाओ से ले जाए तो क्या बात है,
जो शरीफो कि शराफात मे बात ना हो, एक शराबी कह जाए तो क्या बात है,
ज़िंदगी रहने तक तो खुशी दूंगा सबको, किसिको मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है...

हर पल में खुश हूँ

ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश हूँ !
स्कूल में खुश हूँ , घर में खुश हूँ !
आज पनीर नहीं है , दाल में ही खुश हूँ !
आज गाड़ी में जाने का वक़्त नहीं है , दो कदम चल के ही खुश हूँ !
आज दोस्तों का साथ नहीं है , किताब पढ़ के ही खुश हूँ !
आज कोई नाराज़ है , उसके इस अंदाज़ में भी खुश हूँ !
तुझको देख नहीं सकता, तेरी आवाज़ में ही खुश हूँ !
तुझको पा नहीं सकता, तेरी याद में ही खुश हूँ !
बीता हुआ कल जा चूका है , तेरी मीठी यादे है , उनमे ही खुश हूँ !
आने वाले पल का पता नहीं , सपनो में ही खुश हूँ !
हँसते हँसते ये पल बीतेंगे , आज में ही खुश हूँ !
ज़िन्दगी है छोटी "योवन" , फिर भी हर पल में खुश हूँ !
दिल को छूगया हो तो Comment करो , वरना मै ऐसे भी खुश हूँ !